भक्ति मुक्ति दयानी भ हरिणी कालिका
तकत तरुण तारिणी किरण मलिका
सीधी की आन बन शान को संभले
मात कहो माई कहो गले से लगाले
आई गिरी-नंदिनी नंदिता-मेदिनी
गिरि-वर-विंध्य-शिरो-धी-निवासिनी
विष्णु-विलासिनी जिस्नु-नुते
भगवती हे शिति-कंठथा-कुट्टम्बिनी
भूरी-कुट्टम्बिनी भूरी-क्रते
जय जय हे महिषासुर-मर्दिनी
सुर-वर-वारसिनी दुर्धारा-धरसिन्नी
दुर्मुखा-मर्सिन्नी हरसा-रेट
त्रिभुवन-पोसिन्नी शांगकारा-तोस्सिन्नी
दनुजा-निरोस्सिन्नी दिति-सुता-रॉसिन्नी
दुर्मदा-शोसिन्नी सिंधु-सुते
जय जय हे महिषासुर-मर्दिनी