मेरी इस चाहत से दूर मैं खोजता खुदी को दूर इन राहों में
खुदी को कोसते देख के आती हसी मुझे मेरी ही बातों पे
तेरे हुसन का जादू तो जान ले
इन्ही बातों में फसते हैं चाँद के
तेरी यादें अति हैं हर शाम में
तो जीते हैं उसी मुकाम में
आज ना जाने खड़े हैं किस मुकाम में
हम करीब नहीं पर हम साथ में
मेरी इस जात से मैं दूर खुश था
अति है हसी मुझे मेरी ही बातों पे