ओ जान-ए-तमन्ना किधर जा रही हो
ओ जान-ए-तमन्ना किधर जा रही हो
हमीं जब ना होंगे तो ऐ दिलरुबा
ना देखोगी फिर तुम कभी आइना
ओ जान-ए-तमन्ना किधर जा रही हो
है बनने संवरने का जब ही मज़ा
कोई देखने वाला आशिक़ तो हो
नहीं तो ये जलवे हैं बुझते दीये
कोई मिटने वाला इक आशिक़ तो हो
ओ जान-ए-तमन्ना किधर जा रही हो
मुहब्बत कि ये इन्तेहा हो गई
के मस्ती में तुमको खुदा कह गया
बुरा कह गया या भला कह गया
ओ जान-ए-तमन्ना किधर जा रही हो