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Lyrics
नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
हो नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं
हो नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं
इतनी पुरानी है मेरी यह कहानी
के अब अफ़सानों में भी नहीं रही
हो नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं

वो ना जाने के मैं
भुला ना पाऊँगा उसे यू
सोचूँ गा ये ख़यालों में
कभी तो तुम आओगे
ओ नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं
ओ नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं

जिस दिन तुम आगये
भुला दूंगा ये सारी बाते
देखूंगा जरा गौर से
के अब तुम आगये

नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं
ओ नादिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं

इतनी पुरानी है मेरी यह कहानी
कि अब अफ़सानों में भी नहीं रही

ओ नदिया पार पार करके
टुकड़े चार चार करके
वो चली कहीं दूर कहीं
ओ नादिया पार पार करके

टुकड़े चार चार करके

हो नदिया पार पार करके
हो टुकड़े चार चार करके

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Tradition

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Lyrics © Sentric Music, Reservoir Media Management, Inc., SENTRIC MUSIC

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