कागज़ का जहाज़ बना के मैं ने है उड़ा दिया
घम को सारे मैं ने अपने यूँही है भुला दिया
झुटे सपने दिखा के तू ने मुझे है हिला दिया
जेब खाली और नाम ना होने का
मीठी मीठी बातों से दिल मेरा चुरा लिया
अब सीधे सादे लफ़्ज़ों में मैं कहता हूँ अलविदा
कागज़ का जहाज़ बना के मैं ने है उड़ा दिया
घम को सारे मैं ने अपने यूँही है भुला दिया
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
WRITERS
Ali Raza, Bilal Ali, Shane J. Anthony, Usman Siddiqui, Vais Khan, Zair Zaki