दिल की खामोशियों ने ऐसा मुझको खत लिखा
ख्वाब भी होगा कल रात मैने तुझे सुना
आँखें जो खूली तो कोई ना था
कानो में फिर भी वोही गूंजती सदा
ओ मेरे मौला मौला मेरे मौला हन
अली अली दम अली नज़र उठा के देखा
अली अली दम अली अलख जलके देखा
अली अली दम अली मगर है फिर भी दूरी
अली अली दम अली तुझे भुला के देखा
अली अली दम अली तुझे तलाशु कितना
अली अली दम अली कभी तो मिल जा मौला
मुट्ठी भर ख्वाहिशों की बाहों में समाती रही
रेशम के डोर से ये आशियाँ बनाती रही
हन आज फिर उड़ने का जी हैं बना
चाँद का रस्ता मुझे फिर से दिखा
ओ मेरे मौला मौला मेरे मौला हन
हन पनाह दे दे मुझे मौला मौला मौला
कितना बुलओन कितना तलाशु मौला मौला
अली अली दम अली अली अली दम अली
अली अली दम अली अली अली दम अली
अली अली दम अली नज़र उठा के देखा
अली अली दम अली तुझे भुला के देखा
अली अली दम अली तुझे तलाशु कितना
अली अली दम अली कभी तो मिल जा मौला