LyricFind Logo
LyricFind Logo
Sign In
Lyrics
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा
कानन कुंडल कुंचित केसा
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
लाय सजीवन (आ आ)
लाय सजीवन (आ आ)
लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डर ना
अष्ट सिद्धि (आ आ)
अष्ट सिद्धि (आ आ)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं

WRITERS

Ravindra Jain, Satish Dehra, Shiv Kumar

PUBLISHERS

Lyrics © Divo TV Private Limited

Share icon and text

Share


See A Problem With Something?

Lyrics

Other